List of famous temples of madhya pradesh: यह है मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक मंदिर एवं पर्यटन स्थल जो की प्राचीन से लेकर आधुनिक युग तक पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है
चलिए जानते है की मध्य प्रदेश के धार्मिक स्थल कौन कौन से हैं? और इन मध्यप्रदेश के प्रमुख मंदिर की क्या – क्या विशेषताए है जिसके कारण यह सारे विश्व भर मे प्राचीन कल से लेकर आधुनिक कल तक प्रसिद्ध है
मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिरो की बात करे तो प्रचीन से लेकर आधुनिक युग तक बहुत सारे मंदिरो का विकास किया गया, मध्य प्रदेश में भारत के कुछ महत्व पूर्ण मंदिर पाए जाते है जो भारत की धार्मिक परम्परा और भारत के मंदिरो में एक महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है यदि हम मध्य प्रदेश के प्रमुख मंदिर एवं धार्मिक स्थल की बात करे तो ये निम्न है
मध्य प्रदेश के एवं पर्यटन स्थल
यह है कुछ मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर की सूची जो की बहुत विश्वभर मे famous temples है अक्सर लोग इंटरनेट पर खोजते है “famous temples of madhya pradesh” तब उनके सामने यह list आती है जिसके बारे मे अक्सर competitive exams जैसे की MPPSC, UPSC, SSC, etc. परीक्षों मे सवाल पूछे जाते है
नोहटा का प्राचीन नोहलेश्वर मंदिर
यह मंदिर दमोह जिले के नोहटा ग्राम में स्थित है। इस मंदिर में शिव मूर्ति भिराजमान है। यहाँ शिव नोहलेश्वर के नाम से जाना जाता है इसका निर्माण 950-1000 ईस्वी के मध्य किया गया था। जिसका निर्माण कलचुरी वंश के राजा अवनि वर्मा की रानी ने कराया था। यह मंदिर 10 शताब्दी में कलचुरी साम्राज्य की स्थापत्य कला का महत्व पूर्ण नगीना है जो की एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है।
भगवान बैजनाथ मंदिर
यह मंदिर टीकमगढ़ जिले से महज 14 km की दुरी पर स्थित भगवान बैजनाथ का सदियों पुराना मंदिर है। यहां मान्यता है की यहाँ बैजनाथ की मूर्ति और उनकी गुफा का आकर स्वतः बढ़ता जा रहा है।
मकर ध्वज मंदिर
ग्वालियर जिला मुख्यालय से 80 km दूर डवरा तहसील के कहरिया के घने जंगल में स्थित मकरध्वज मंदिर इसकी प्राचीनता और त्रेता युग की कहानी सुनाता है।
राम भग्त हनुमान के पुत्र मकरध्वज का यह मंदिर देश दुनिया में यह एक मात्र प्राचीन मंदिर है मान्यता है की इस मंदिर को मकरध्वज द्वारा एक ही रात में बनाया गया था
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सिरवेल महादेव मंदिर
यह मंदिर खरगोन जिला मुख्यालय से लगभग 60 km दूर और महाराष्ट्र की सीमा पर सिरवेल महादेव मंदिर स्थित है। यह श्रावण मास व महाशिवरात्रि को निमाड़ मालवा सहित महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्राद्धलु आते है।
सात कोठरी मंदिर
मध्य प्रदेश के धार जिले के विस्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मांडू में ऐतिहासिक महलों के आलावा प्राचीन मंदिर भी है। जिनमे से एक साथ कोठरी मंदिर भी है। जिसका धार्मिक पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है।
आलम गीर गेट के समीप 200 फिट खाई में सात कोठरी भगवान शिव का मंदिर है। चट्टानों के बीच 3 वाय 3 की सात गुफा अलग अलग इस परिसर में है ठीक पीछे गुफा में यह मंदिर बना हुआ है।
सिरोंज का महालक्ष्मी मंदिर
यह विदिशा जिले के सिरोंज छेत्र के केथन डेम के किनारे पहाड़ी पर बने एक हजार साल पुराने महालक्ष्मी मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। यह हर वर्ष माता का बहुत बड़े क्षेत्र में मेला लगता है जिसे देखने दूर दूर से लोग आते है यहां महाकाली ,महालक्ष्मी, और माँ सरस्वती की की प्रतिमाये एक साथ ब्रजमान है
जटाशंकर महादेव मंदिर
भगवान शिव के मंदिरो में से एक प्रदेश के देवास जिले के बागली से 3 km दूर स्थित जटाशंकर महादेव मंदिर शिव भगतों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है
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तिगवा का विष्णु मंदिर
भारत के प्राचीन राजबंशो में सुमार गुप्त वंश की शैली में बना एक मंदिर कटनी जिले के बोहरीबंद तहसील से करीब 4 km दूर तिगवा गॉव में स्थित है। गुप्त कालीन शैली में बना यह मंदिर पंचमी सताब्दी के वास्तुकला का आज भी बखान करता है आज कल यह कंकाली देवी मंदिर के नाम से पहचाना जाता है। कंकाली देवी की मूर्ति के नीचे अनंत नामक सर्प पर लेटे हुए विष्णु की प्रतिमा है। उनकी नाभि से निकले हुए कमल पर ब्रम्हाजी विराजित है।
कंदरिया महादेव मंदिर
खजुराहो में स्थित यह शिवलिंग 109 फीट लम्बा 60 फीट चौड़ा और 116 फिट ऊँचा कंदरिया महादेव मंदिर शिव को समर्पित है इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के आलावा अनेक देवी देवताओ की कलात्मक मूर्तियाँ स्थित है जो शिल्प कला के अद्भुद नमूनों में से एक है। गर्व गृह में चारो तरफ प्रदशना पथ है। इसका मुख्य द्वार बाहर से देखने पर कंदरा जैसा दिखाई देता है इसलिए इस मंदिर का नाम कंदरिया महादेव है।
मतंगेश्वर मंदिर
खजुराहो का यह मंदिर 920 ईस्वी में राजा हर्ष वर्धन ने बनाया था यह खजुराहो में एक मात्र मंदिर है जहां भगवान शिव की पूजा की जाती है।
मलबई , महादेव मंदिर
अलीराजपुर से 5 km दक्षिण में स्थित 11 वी सदी का परमार कालीन यह मंदिर है। जो इस क्षेत्र का एक मात्र पर्यटक स्थल है यह शिव मंदिर संचनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा राज्य संरक्षित स्मारक है।
विष्णु मंदिर मड़ला
मोती महल के दक्षिण पश्चिम में लगभग तीस मीटर की दुरी पर विष्णु मंदिर स्थित है। बाहर से यह मकबरे जैसा दिखाई देता है। हिरदेशाही की पत्नी सुंदरी द्वारा इसका निर्माण किया गया था। इस मंदिर को मध्य प्रदेश शासन ने संरक्षित घोषित किया।
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बलदेव मंदिर पन्ना
पन्ना का बलदेव मंदिर रोमन स्थापत्य शैली में बना है। जिसकी आकृति चर्च जैसी ही 1921 में राजा रुद्रदेव के आदेश पर यह खूबसूरत मंदिर बनवाया गया था। यह मंदिर 16 कलाओ के स्वामी बलराम को समर्पित है इस मंदिरमें 16 गुम्मद, 16 दरबाजे , 16 खिड़कियां, 16 स्तम्भ और 16 सीढ़ियां है
प्राणनाथ मंदिर पन्ना
प्राणनाथ जी का यह मंदिर पन्ना शहर का मुख्य आकर्षण केंद्र है। ऐसा माना जाता है। की महामति प्राणनाथ जी 11 साल तक इस स्थान पर रहे थे। फिर बाद में उन्होंने मंदिर के एक गुम्मद के अंदर समाधी ली।
महामृत्युंजय मंदिर रीवा
रीवा जिले में स्थित में स्थित महामृत्युंजय मन्दिर लोगो की आस्था का प्रमुख केंद्र है यह श्रद्धालुओं में भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप के दर्शन होते है। यहाँ मान्यता है की मंदिर में महामत्युंजय मंत्र का जप करने से मृत्यु को भी वश में किया जा सकता है।
चित्रकूट
मंदाकनी नदी के किनारे बसे चिटकूट धाम को भारत के प्रमुख प्राचीन तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। इसका कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश में भी आता है। यह क्षेत्र चारो ओर से विन्ध पर्वत श्रृंख्ला और वनो से घिरा हुआ है। जिस कारण इसे अनेक आष्चर्य की पहाड़ी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मी जी के साथ अपने वनवास के दौरान ग्यारह वर्ष प्राक़तिक सौन्दर्य से भरपूर इस अद्भुद क्षेत्र में बिताये थे। चिटकूट में ही सति अनसुइया के घर व्रम्हा, विष्णु , और महेश ने जन्म लिया। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ध्यान मग्न हुए।
मान मंदिर , ग्वालियर
ग्वालियर के किले में स्थित मान मंदिर महल का निर्माण राजा मान सिंह तोमर ने करवाया था इसमें रंगीन टाइल्स लगी हुई है। जिनकी भव्यता आज के अतीत की भेंट चढ़ चुकी है।
चौसठ योगनी मंदिर जबलपुर
जबलपुर के निकट भेड़ाघाट में स्थित यह मंदिर जो एक छोटे पहाड़ी पर स्थित है यहाँ चौसठ योगनियों की मूर्तिया है। जो मंत्र साधना में विभिन मुद्राओ में है लेकिन दुर्भाग्य बस यह मुर्तिया खंडित अवस्था में है। इस मंदिर का निर्माण कलचुरी शासक युबराजदेव प्रथम ने 10 वी सदी में बनाया था।
त्रिपुर सुंदरी मंदिर जबलपुर
यह जबलपुर से लगभग 12 km दूर स्थित तेवर गांव में विशाल दुर्गा मंदिर स्थित है। इस मंदिर में देवी की त्रिमुखी मूर्ति स्थित है। जिसके तीन मुख काली ,सरस्वती ,और दुर्गा के है इसके प्रवेश द्वार पर मिले अभिलेख के अनुसार इस प्रतिमा की स्थापना कलचुरी नरेश लक्ष्मी कर्ण ने की थी। तेवर गांव ही कलचुरियो की प्राचीन राजधानी तिपुरी माना जाता है
पशुपतिनाथ मंदिर , मंदसौर
पशुपति नाथ मंदिर मंदसौर में सिवना नदी के किनारे स्थित है। यहाँ शिव जी की अष्टमुखी प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 1940 ईस्वी शिवना नदी से निकली थी और यही 1960 में मूर्ति की प्राण प्रतिस्टा की गई
माँ शारदा मंदिर ,मैहर
यह मंदिर सतना जिले में मैहर के त्रिकूट पर्बत पर स्थित है। यह मंदिर ऐतिहासिक मंदिर 108 शक्ति पीठो में से एक है यह पीठ सतयुग के प्रमुख नृसिंह भगवान के नाम पर नरसिंह पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हजारो श्रदालु प्रतिदिन दर्शन करने आते है, माँ के अनन्य भक्त आल्हा और ऊदल जिन पर पुरे बुंदेलखंड में आल्हा गायन गया जाता है, उनका आखाड़ा और एक तालाब माँ की पहाड़ी के पीछे स्थित है
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साँची गुप्त कालीन मंदिर
अधिकांश पर्यटक साँची के महास्तूप के बारे में ही जानकारी लेकर मौर्य , सुंग ,सातवाहन ,गुप्त काल के महास्तूप के बारे में अध्ययन करते है। मंदिर स्थापत्य कला विकास में प्रमुख रूप से गुप्त कालीन मंदिरो को माना जाता है
बाजरा का मठ मंदिर
ग्यारसपुर में तहसील कार्यालय के पीछे बाजरा मठ नाम से जाना जाने वाला मंदिर वास्तव में विष्णु भगवान को समर्पित है। दोनों तरफ तरफ ब्रम्हा और शिव की मूर्तियां बिराजमान है
लछ्मण मंदिर, खजुराहो
खजुराहो के लछमन मंदिर का निर्माण चंदेल शासक यशोवर्मन द्वारा कराया गया था यह मंदिर पूर्व मुखी है यहाँ से प्राप्त शिलालेख के अनुसार यह मंदिर बैकुंठ का है जिसे भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है
चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो
खजुराहो का यह मंदिर सूर्य को समर्पित है गर्वग्रह में पांच पुट ऊँची चित्तगुप्त या सूर्य की प्रतिमा है। अश्वरोही रथ पर सवार सूर्य के सात घोड़ो को हांकने की मुद्रा में सूर्य को दर्शाया गया है
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पारसनाथ मंदिर ,खजुराहो
खजुराहो के पूर्वी समूह में प्रमुख मंदिर जैन धर्म के तेइसवे तीर्थकर भगवान पारसनाथ का मंदिर है इसका निर्माण राजा धग के समय 954 ईस्वी में हुआ था।
चतुर्भुज मंदिर , खजुराहो
खजुराहो के दक्षिण समूह चतुर्भुज मंदिर ,दूल्हादेव मंदिर बने है चतर्भुज मंदिर का निर्माण 1100 ईस्वी के आसपास हुआ था। मंदिर के गर्वःगृह में चतुर्भुज विष्णु की प्रतिमा प्रतिस्थापित की गई है।
कुण्डलगिरि
यह मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित जैन धर्मबलियो का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह कुण्डलपुर पर्वत से घिरा होने के कारण इसका नाम कुण्डलगिरि पड़ा।यहाँ जैन समुदाय के 52 मंदिर है जिसमे अधिकांश 16 बी सताब्दी या उसके बाद बने है।
पुष्पगिरी, देवास
पुष्पगिरी जो देवास जिले के सोनकच्छ के पास 250 एकड़ क्षेत्र में एक पहाड़ी जो दिगम्बर जैन संप्रदाय से सम्बंधित तीर्थ है यहाँ 23 फिट ऊँची भगवान पार्स्वनाथ की परमार कालीन प्रतिमा है
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